JAIPUR. राजस्थान में नई सरकार के लिए वोटों की काउंटिंग शुरू हो चुकी है। शुरुआती रुझानों में बीजेपी 60 और कांग्रेस 50 सीटों पर आगे चल रही है। आज शाम तक सभी प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला हो जाएगा। इसके साथ ये साफ हो जाएगा कि अब प्रदेश में किसकी सरकार होगी। राजस्थान में 1993 से चले आ रहे हर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड बरकरार रहता है कि पिछली सरकार की फिर वापसी होती। देखना होगा कि क्या कांग्रेस गहलोत के जादू से इस परंपरा को तोड़ पाएगी? या फिर मोदी के मैजिक से बीजेपी की वापसी होगी।
कांग्रेस और बीजेपी में मुकाबला
राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है। कांग्रेस का लक्ष्य सत्तारूढ़ पार्टी को हर पांच साल में सत्ता से बाहर करने के रिवाज को खत्म करना है, जबकि बीजेपी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में वापसी करना चाहती है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोक कल्याणकारी योजनाओं के दम कांग्रेस की वापसी का दावा किया हैं। वहीं बीजेपी की उम्मीदें मोदी की गारंटियों से लगी हुई है।
इस राजस्थान विधानसभा चुनाव में 75.45 प्रतिशत वोटिंग हुई है। साल 2018 में 74.71 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस प्रदेश के इतिहास की माने तो 0.33 प्रतिशत वोट से भी सत्ता बदल जाती है। 2018 के चुनाव में 0.54 प्रतिशत ज्यादा वोटिंग से कांग्रेस की सरकार बनने के बीजेपी की विदाई हुई थी। राजनीति के जानकारों की माने तो राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस को कई बार खंडित जनादेश मिला लेकिन चुनाव में जिस भी पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिलीं, वो बहुमत जुटाने में कामयाब रही। यहां आंकड़ों के खेल में कभी सरकार नहीं गिरी।
बारी- बारी रहा कांग्रेस और बीजेपी का शासन
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा कभी किसी का शासन नहीं रहा। बीजेपी का हिस्सा रही जनता पार्टी सत्ता में रही थी। बीच-बीच में दूसरे दलों ने पैर जमाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए। 1993 में बीजेपी से भैरों सिंह शेखावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद राजस्थान की सत्ता में कांग्रेस और बीजेपी आती-जाती रही। राजस्थान में चुनावी नतीजे में बीजेपी और कांग्रेस बहुमत या बहुत करीब जैसी स्थिति में अक्सर होती हैं।
राजस्थान का सियासी इतिहास
राजस्थान की परंपरा की बात करें तो यहां कांग्रेस-बीजेपी के बीच सत्ता आती जाती रही है। साल 1990 में बीजेपी और वीपी सिंह के जनता दल के बीच गठबंधन के बीजेपी को 200 में से 85 सीटें मिलीं थी, बीजेपी ने जनता दल के 55 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई। 1972 में कांग्रेस की बंपर सीट मिली थी कांग्रेस ने 184 में से 145 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया था। इसके बाद 1980 में 200 में से 133 सीटें और 1985 में 113 सीटें जीती थीं। 1977 में जनता पार्टी ने 200 में से 152 सीटें जीती थीं और 1998 में कांग्रेस 153 सीटों पर विजयी रही थी। राजस्थान के सियासी इतिहास को लेकर देखे तो 1962 में कांग्रेस को 176 में 88 सीटें मिली थीं। 1967 में कांग्रेस विरोधी लहर के बाद भी 184 में से 89 सीटों पर उसे जीत मिली थी। 1993 से ही पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन का ट्रेंड शुरू हुआ। 1993 में बीजेपी को 95 सीटों पर जीत मिली थी और वह बहुमत के करीब पहुंच गई। 2008 और 2018 में कांग्रेस ने 200 सीटों वाली विधानसभा में क्रमश: 96 और 100 सीटें जीती।